पीटी की सीटी सुनते ही,
हम खेल मैदान पहुंचते थे,
वह सुबह-सुबह की पीटी थी,
जब ट्रैक पे दौड़ा करते थे।।
सब पीटी से वापस आते थे,
हम जोर जोर चिल्लाते थे,
वह स्नानागार मे मित्रों के संग,
सिंगर बन जाया करते थे।।
वह जोर-जोर का चिल्लाना,
मित्रों के संग गाना - गाना,
हम भूल नहीं पाए अब तक,
बेसुरे काक सा सुर गाना।।
मेस की घंटी जब बजती थी,
जब पूरी खूब महकती थी,
तब सबसे पहले ही मेस में,
हम पहुँच ही जाया करते थे।।
असेम्बली के टाइम पर हम,
कभी पहुँच ना पाते थे,
लगता था डर बहुत अधिक,
जब सर सबको चिल्लाते थे।।
क्या चाहत थी विद्यालय की,
स्कूल हमें वह जाने की,
सही रास्ते पहुँच सके हम,
मंजिल की भी ये चाहत थी।।
Bhi thanks yadoo ko taja kerne ke liye .. Bhoot achhi liki hai yrr 👍👍
ReplyDeleteThanks bhaya...
DeleteIt's my pleasure....
Superb Bhai
ReplyDeleteThanks yaara
DeleteSagheer Ahmad 2050:bahoot mast yaar,Rula diya kasam se...👌👌👌
ReplyDeleteYaar ye to hona hi tha .... 😍😍
DeleteOsm dear miss u navodaya...
ReplyDeleteI miss u too much....
DeleteVery fantastic
DeleteSuperrr se bhi upar 😍😍
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